राजस्थान में कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण लोकसभा सीट झालावाड़ की रही है। देश में 16 बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल चार बार ही इस सीट पर जीत पाई। बारह चुनाव यहां से भाजपा या उसके पूर्ववर्ती जनसंघ, जनतापार्टी ने जीते। प्रथम आम चुनाव वर्ष 1952 व द्वितीय में यहां से कांग्रेस के नेमीचंद कासलीवाल ने विजय प्राप्त की। वर्ष 1962 में कांग्रेस ने कोटा की पूर्व रियासत के अंतिम महाराजा बृजराज सिंह को चुनाव में उतारा वे भारी मतों से विजयी हुए लेकिन वर्ष 1967 और १९71 के दो लोकसभा चुनाव उन्होंने जनसंघ के टिकट पर जीते। उनके पुत्र इच्जराय सिंह भी कोटा से कांग्रेस के सांसद रह चुके है परन्तु वें भी अब भाजपा में है। बृजराज सिंह का झालावाड़ के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
जनता पार्टी की लहर में सामान्य किसान परिवार के चतुरभुज नागर को इस सीट से सांसद बनने का अवसर मिला। उन्होंने वर्ष 1980 की कांग्रेस लहर में भी अपनी सीट भाजपा के टिकट पर बरकरार रखी। वर्ष 1984 के चुनाव में नागर को हराने के लिए कांग्रेस ने दिगोद विधानसभा क्षेत्र के कुंदनपुर ठिकाने के झुझार सिंह को चुनाव लड़ाया और वे विजयी हुए। झुझार सिंह के पुत्र भरत सिंह भी राज्य के कृषि मंत्री रहे है। वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही झालावाड़ लोकसभा सीट का नेतृत्व लगातार पांच बार वसुंधरा राजे ने किया। नवम् लोकसभा चुनाव से लेकर 13वीं लोकसभा के चुनाव तक कांग्रेस ने यहां से वसुंधरा राजे को हराने के लिए एडी-चोटी का जोर लगा लिया परन्तु इस सीट पर राजे ने अंगद के पैर की जैसी स्थिति बना दी। अब 14वीं लोकसभा के चुनाव से राजे के पुत्र वर्ष 2004 से लगातार भाजपा के सांसद है। कांग्रेस ने राजे परिवार को हराने के लिए कई प्रयोग किए लेकिन पार नहीं पड़ी। प्रथम आम चुनाव के समय दो सांसदों का नियम था उनमे एक सामान्य वर्ग से दूसरा आरक्षित जाति से होता था। इसी नियम के चलते वर्ष 1957 से 62 तक कांग्रेस के ओंकारलाल बैरवा को भी नेमीचंद कासलीवाल के साथ सांसद बनने का अवसर मिला। उस समय कोटा-झालावाड़ को मिलाकर एक ही लोकसभा क्षेत्र होता था। झालावाड़ से लगातार चुनाव जीतने का वह भी एक ही पार्टी से यह रिकार्ड केवल राजे परिवार के नाम ही दर्ज है। वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान राज्य की विभिन्न पूर्व रियासतों के ठिकानेदार खुलकर चुनावी राजनीति में आए परन्तु बाद में इनका राजनीति से मोह भंग हो गया। झालावाड़ के वर्तमान सांसद दुष्यन्त सिंह भी अपनी माताश्री के पदचिन्हों पर चलते हुए झालावाड़ से लगातार चार चुनाव जीत चुके है। राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में वर्तमान सांसदों में वे ही एक मात्र ऐसे सांसद है जो लगातार 2004 से चुनाव जीत रहे है।